अमेरिका और ईरान के बीच कुछ महीने पहले एक बड़ी डील हुई थी. करार ये हुआ की अमेरिका में फ्रीज की गई अरबों डॉलर की रकम ईरान वापस हासिल कर सकता है, अगर वो अमेरिकी बंदियों को रिहा कर दे. ईरान इससे सहमत हुआ और डील फाइनल हो गई. उसने अमेरिकी बंदियों को रिहा भी कर दिया लेकिन अब फिर ईरान की मुश्किलें बढ़ना तय है.

रिपब्लिकन पार्टी का दावा है कि ईरान ने इजराइल पर हमले के लिए हमास की मदद की है. उसने हमास के लड़ाकों को ट्रेनिंग दी और इजराइल की सीमाओं पर तनाव पैदा किया है. ऐसे में ईरान को सजा दी जानी चाहिए और फ्रीज की गई 6 अरब डॉलर की रकम उसे नहीं दी जानी चाहिए. इसके लिए बाजाब्ता हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव में वोटिंग कराई गई, और हाउस ने इस संबंध में एक प्रस्ताव भी पास किया है.

6 अरब डॉलर से “टेरर फंडिंग” कर सकता है ईरान

हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के रिपब्लिकन अध्यक्ष प्रतिनिधि माइकल मैककॉल का मानना है कि ईरान 6 अरब डॉलर की रकम से टेरर फंडिंग कर सकता है. ऐसे में उसे रोकने के लिए इस फंड को री-फ्रीज करने की जरूरत है, ताकि ईरान इसका इस्तेमाल ना कर सके. रिपब्लिकन के अन्य आलोचकों ने यूएस-ईरान की उस डील की ओर इशारा किया, जिसके तहत अमेरिकी बंदियों को रिहाई मिली और ईरान को उसका अपना निजी फंड.

हमास का हमला और ईरान पर “टेरर फंडिंग” के आरोप

हमास ने इजराइल पर 7 अक्टूबर को हजारों रॉकेट के साथ हमला किया था. अब तक की लड़ाई में ऐसा पहली बार था जब एक ही झटके में सैकड़ों इजराइली नागरिक मारे गए. रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं का मानना है कि ईरान और अमेरिका में कैदियों की अदला-बदली की डील इस हमले से पहले हुई. ऐसे में संभावना है कि ईरान ने उस फंड का इस्तेमाल इजराइल के खिलाफ कथित “टेरर फंडिंग” में किया.