देश के पांच राज्यों में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में से तीन राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जीत के बाद तमाम विरोधी पार्टियों की तरफ से EVM पर सवाल उठाए जाने का दौर शुरू हो चुका है। शिवसेना उद्धव ठाकरे गुट ने मुखपत्र सामना के जरिये सवाल उठाया है, वहीं कांग्रेस नेताओं दिग्विजय सिंह, कमलनाथ, शिवसेना नेता संजय राऊत और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने ही अंदाज में सवाल उठाए हैं। इसी बीच खबर है कि दिल्ली में 6 दिसंबर को होने वाली इंडिया गठबंधन की बैठक टल गई है।

कांग्रेस नेताओं ने उठाए सवाल

वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का कहना है कि वह 2003 से ही EVM के जरिए मतदान का विरोध करते आ रहे हैं। चिप वाली किसी भी मशीन को हैक किया जा सकता है। क्या लोकतंत्र को हैकरों को नियंत्रित करने की अनुमति दे सकते हैं? ये मौलिक सवाल है और इसका समाधान सभी दलों को करना होगा। सवाल यह भी है कि EC, SC क्या आप कृपया हमारे भारतीय लोकतंत्र की रक्षा करेंगे?

पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की मानें तो कुछ विधायकों ने उनसे कहा कि उन्हें उनके गांव में ही 50 वोट मिले हैं। ये कैसे हो सकता है? एग्जिट पोल तो माहौल बनाने के लिए था। हार पर मंथन, मिशन 24 पर चिंतन-मनन, नेता प्रतिपक्ष कौन होगा, ये सब फैसले हाईकमान करेगा।

शिवसेना नेता संजय राऊत की मानें तो ये EVM की जीत है, ये EVM का जनादेश है। उनके अनुसार जनता की मांग है कि एक बार बैलेट से चुनाव हो। प्रधानमंत्री मोदी को लोकतंत्र बचाने की गारंटी देनी चाहिए। ईवीएम का मूड मतलब जनता का मूड नहीं है। बीजेपी ने जीत का जश्न मनाते हुए कहा था कि मोदी की गारंटी पर जनता ने मुहर लगाई है और राहुल गांधी की मोहब्बत की दुकान नहीं चली, लेकिन मोदी जी ने तो बहुत सी गारंटी दी किसानों की आय दोगुनी करने की गारंटी, लोगों के खाते में 15लाख जमा करने की गारंटी और हर साल 2 करोड़ लोगों को नौकरी की गारंटी इस गारंटी का क्या हुआ?