इलाहाबाद हाई कोर्ट में सोमवार को मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि से जुड़े मामले की सुनवाई हुई. कोर्ट ने विवादित परिसर में सर्वे के तरीकों को लेकर अपना फैसला सुरक्षित रखा है. सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में SLP दाखिल होने का हवाला दिए जाने की दलील दी गई. कोर्ट ने इस एंगल पर भी फैसले को सुरक्षित रखा है.

कोर्ट को अभी यह फैसला देना है कि सुप्रीम कोर्ट में मामला पेंडिंग होने के बाद हाई कोर्ट आदेश जारी कर सकता है या नहीं. मथुरा से जुड़े सभी 18 मुकदमों की एक साथ सुनवाई की मांग पर भी फैसला रिजर्व रखा है.

मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह को लेकर विवाद 350 साल पुराना है. सर्वे से इस बात का प्रमाण मिलेगा कि शाही ईदगाह की जमीन श्रीकृष्ण जन्मस्थान की है या नहीं. सर्वे से शाही ईदगाह में मंदिर से जुड़े सबूतों का भी पता चलेगा.

क्या विवाद है और दोनों पक्षों के क्या-क्या दावे हैं?

ये विवाद 350 साल पुराना है. विवाद 13.37 एकड़ जमीन के हिस्से को लेकर हैं. 11 एकड़ में श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर मंदिर बना है. शाही ईदगाह 2.37 एकड़ पर बनी है. हिंदू पक्ष का दावा है कि जन्मभूमि पर प्राचीन केशवनाथ मंदिर था. 1669-70 में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण किया गया. दावा है कि औरंगजेब ने मंदिर तुड़वाकर मस्जिद बनाई. हिंदू पक्ष का कहना है कि 1968 के जमीन समझौता अवैध है और इसे रद्द किया जाए, जबकि मुस्लिम पक्ष का दावा है कि हिंदू पक्ष के दावे गलत हैं.

ईदगाह में मंदिर से जुड़े कोई प्रमाण नहीं है. मुस्लिम पक्ष ने 1968 में हुए जमीन समझौते और प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का भी हवाला दिया है.

उधर मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष के दावे को गलत बताया. उनका कहना है कि शाही मस्जिद में मंदिर के कोई प्रमाण नहीं हैं. मुस्लिम पक्ष ने 1968 में जमीन समझौते का हवाला दिया. प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का भी हवाला दिया.