विशेषज्ञों ने जेएन.1 वेरिएंट को लेकर सतर्क और सावधान रहने को कहा

कोरोना का नया सब-वेरिएंट जेएन.1 चिंता का सबब बना

दुनिया के कई देशों में कोरोना के मामलों में एक बार फिर बढ़ोतरी होने लगी है. इस बार कोरोना का नया सब-वेरिएंट जेएन.1 चिंता का सबब बना हुआ है. इस वेरिएंट की पहचान सबसे पहले लग्जमबर्ग में हुई थी. भारत के केरल राज्य में इस वेरिएंट का पहला मामला सामने आ चुका है. केरल के साथ-साथ कई राज्यों में कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं. बीते रविवार को कोरोना के चलते पांच लोगों की मौत हो गई. भारत सरकार ने अलग-अलग राज्यों को कोरोना को लेकर एहतियात बरतने की एडवाइजरी जारी की है।

कोविड-19 का यह नया सब-वेरिएंट इम्यून सिस्टम को चकमा देने में माहिर है. इसके लक्षण पिछले वेरिएंट्स की तरह ही हैं. इनमें बुखार, बहती नाक, गले में खराश, सिरदर्द और पेट दर्द व दस्त जैसे लक्षण शामिल हैं. रिपोर्ट के मुताबिक नए सब-वेरिएंट से गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की समस्याएं अधिक हो सकती हैं. वहीं रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने संकेत दिया है कि ऐसे कोई सबूत नहीं हैं, जिससे पता चले कि अन्य वेरिएंट्स की तुलना में जेएन.1 ज्यादा घातक है. साथ ही यह भी कहा गया है कि भले ही यह वेरिएंट इम्यून सिस्टम को चकमा देने में सक्षण हो. लेकिन इसके कारण अधिक गंभीर बीमारी या अस्पताल में भर्ती होने के मामलों में वृद्धि होने के आसार बेहद कम हैं।विशेषज्ञों ने जेएन.1 वेरिएंट को लेकर सतर्क और सावधान रहने को कहा है. इसके मुताबिक वैक्सीनेशन के कारण हमारा शरीर वायरस के अलग-अलग स्ट्रेन से लड़ने में सक्षम है. जेएन.1 का पहला मामला सितंबर में संयुक्त राज्य अमेरिका में मिला था. चीन में 15 दिसंबर को 7 मामले पाए गए, जिससे इसके प्रसार को लेकर चिंता पैदा हो गई है. रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र ने चेतावनी दी कि कोविड-19 और इन्फ्लूएंजा के ताजा मामले अमेरिका की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं. सीडीसी के ट्रैकिंग से पता चलता है कि कोरोना का नया सब-वेरिएंट बढ़ते केस का कारण बन रहा है।

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केरल के तिरुवनंतपुरम जिले के काराकुलम में एक 78 वर्षीय बुजुर्ग महिला में कोरोना वायरस का यह नया सब-वेरिएंट मिला था. जेएन.1 ओमिक्रॉन का सब-वेरिएंट पिरोला से ही म्यूटेट होकर निकला है. इसमें स्पाइक प्रोटीन शामिल है, जो शरीर के अंदर वायरस की गंभीरता को बढ़ाने और इम्यून सिस्टम को चकमा देने में मददगार हो सकता है. स्पाइक प्रोटीन लोगों को संक्रमित करने में वायरस की मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इस वजह से, जो डोज दिए जा रहे हैं, वो स्पाइक प्रोटीन को भी टारगेट करते हैं।