सिंचाई के नाम पर घने जंगलों और सालों से आबाद गांव को उजाड़ना मंजूर नहीं

सिवनी मालवा तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम मोरघाट इलाके में मोरंड गंजाल नदी पर बनने वाले बांध का सर्वे करने से पहले एनवीडीए के अधिकारी ग्राम सामरधा में आदिवासी ग्रामीणों से चर्चा करने पहुंचे, यहां उन्होंने डैम बनाने के लिए गांव विस्थापित करने पर ग्रामीणों को क्या-क्या लाभ होगा ये बताया।

आदिवासियों ने दो टूक कहा कि हमें पैसे नहीं चाहिए, हम बस इतना चाहते है कि यहां डैम नहीं बने, आदिवासियों का कहना है कि यदि डैम बना, तो हजारों किसान खेती से हाथ धो बैठेंगे, डैम से कई गांव डूब में आ रहे हैं, जबकि क्षेत्र में सिंचाई के पर्याप्त संसाधन पहले से ही है, ग्रामीणों का मानना है कि गंजाल मोरंड परियोजना के निर्माण से सदियों से हमारे पूर्वजों ने संरक्षित और बचाए जंगल बड़ी मात्र में खत्म हो जाएंग, इससे कि हमारे पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा इस परियोजना से कई हेक्टेयर जंगल जलमग्न हो जाएगा अतः इससे पर्यावरण को अपूर्णीय क्षति होगी, इस परियोजना के निर्माण हमारी आजीविका का प्रमुख साधन खेती खत्म हो जाएगी जो हम नहीं चाहते हैं।

Seoni Malwa: Morand-Ganjal नदी पर बन रहे Dam का विरोध, गांव वालों ने की जमकर नारेबाजी | MP News
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साथ ही हमारे पशुओं के चरागाह, उनके लिए पानी के स्त्रोत खत्म हो जाएंगे, उनको पालना बहुत मुश्किल हो जाएगा, अभी हमारे लिए उपलब्ध सेवाएं जैसे स्वास्थ्य, बच्चों कि आंगनवाड़ी, स्कूल और सुविधाएं भी खत्म हो जाएंगी, मोरंड गंजाल सिंचाई परियोजना के लाभ क्षेत्र के गांवों में से अधिकांश गांव में सिंचाई सुविधा उपलब्ध हैं,
सिंचाई के नाम पर घने जंगलों और सालों से आबाद गांव को उजाड़ना मंजूर नहीं।