जम्मू-कश्मीर के राजौरी में गुरुवार को हथियारों से लैस आतंकवादियों ने सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर हमला कर दिया. इसमें 4 सैनिक शहीद हो गए. अधिकारियों ने बताया कि शहीद हुए दो सैनिकों के शव क्षत-विक्षत थे. वहीं राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों गुलाम नबी आजाद और महबूबा मुफ्ती ने हमले की कड़ी निंदा की है.
पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) की शाखा पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (पीएएफएफ) ने घात लगाकर किए गए इस हमले की जिम्मेदारी ली है. जम्मू में रक्षा विभाग के जनसंपर्क अधिकारी (पीआरओ) लेफ्टिनेंट कर्नल सुनील बर्तवाल ने बताया कि आतंकवादियों की पुख्ता खुफिया जानकारी के आधार पर पुंछ जिले के ढेरा की गली इलाके में बुधवार रात एक संयुक्त तलाशी अभियान चलाया गया था. अधिकारियों ने बताया कि ये जवान घटनास्थल की ओर बढ़ रहे थे, तभी आतंकवादियों ने दो वाहनों (एक ट्रक और एक जिप्सी) पर गोलीबारी कर दी.
4 सैनिक शहीद
रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि सुरक्षा बलों ने हमले का जवाब दिया. इस अभियान में 4 सैनिक शहीद हो गए और दो अन्य घायल हो गए. घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. उन्होंने बताया कि अभियान जारी है. वहीं अधिकारियों ने भीषण टकराव के दौरान सैनिकों और आतंकवादियों के बीच आमने-सामने की लड़ाई होने की संभावना से इनकार नहीं किया.
कुछ हफ्ते पहले भी हुआ था हमला
अधिकारियों ने कहा कि ऐसी संभावना है कि जिन सैनिकों पर हमला किया गया, आतंकवादी उनके हथियार लेकर चले गए हैं. अभियान जारी रहने के दौरान अधिकारी अधिक जानकारी इकट्ठा करने और क्षेत्र में आतंकवादियों की तलाश करने की कोशिश में जुटे हैं. इस हमले से कुछ ही हफ्ते पहले पास के राजौरी जिले में बाजीमाल वन क्षेत्र के धर्मसाल बेल्ट में गोलीबारी के दौरान दो कैप्टन सहित पांच सैन्यकर्मी शहीद हो गए थे.
सेना के वाहन पर घात लगाकर हमला
राजौरी जिले में सुरक्षा बलों के साथ नवंबर में इस मुठभेड़ में अफगानिस्तान में प्रशिक्षित लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के शीर्ष कमांडर क्वारी समेत दो आतंकवादी मारे गये थे. राजौरी और पुंछ जिलों की सीमा पर स्थित ढेरा की गली और बुफलियाज के बीच का इलाका घने जंगलों वाला है और यह चमरेर जंगल और फिर भाटा धुरियन जंगल की ओर जाता है, जहां इस साल 20 अप्रैल को सेना के एक वाहन पर घात लगाकर किए गए हमले में पांच सैनिक शहीद हो गए थे.