मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में 152 लोगों ने ईसाई धर्म को छोड़कर हिंदू धर्म में वापसी की है. हिन्दू धर्म में वापसी करने वाले लोगों ने सीधे तौर पर ईसाई मिशनरी पर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि ईसाई मिशनरियों ने लोभ-लालच दे कर उन्हें ऐसा करने पर मजबूर किया था. धर्म परिवर्तन करने के बाद में वे खुद को ठगा महसूस कर रहे थे. इसके अलावा दूसरे धर्म में जाने से उनके रिश्तेदार और सामाज के लोगों ने उनसे दूर बना ली थी.यही मुख्य कारण रहा कि ये सभी लोग एक बार फिर हिंदू धर्म में वापस आ गए.
बता दें कि कुछ दिनों में ही महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के लगभग 150 लोगों ने हिन्दू धर्म अपनाया है. ग्रामीणों के अनुसार मिशनरी के प्रमोटर ऐसे लोगों को चिन्हित करते हैं, जो की गरीब वर्ग और जरूरतमंद होते हैं. इसके बाद उनका ब्रेन वॉश करके उनका धर्म परिवर्तन करने लिए उन्हें मनाया जाता है. भोले-भाले ग्रामीणों को ईसाई मिशनरियों द्वारा लुभाया जाता है. मध्य प्रदेश के बैतूल और महाराष्ट्र के अमरावती के कुछ लोग इस मुहिम पर खास तौर पर जुटे हुए हैं. दूसरी और धर्म परिवर्तन कर ईसाई धर्म अपनाने वाले लोगों का गांव के लोग सामाजिक बहिष्कार कर देते हैं.
लालच देकर कराते हैं धर्म परिवर्तन
लालच में आ कर ये लोग धर्म परिवर्तन के लिए राजी हो जाते हैं. जब इनसे किए गए वादे ईसाई मिशनरी द्वारा पूरे नहीं किए जाते हैं, तो फिर इन लोगों के पास अपने धर्म में वापसी करने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं बचता है. ऐसे ही लोगों को समझा-बुझा कर के अपने धर्म में वापसी कराने के लिए कुछ लोग लगातार काम कर रहे हैं. इस वजह से अब लोग हिन्दू धर्म में वापस आन लगे हैं.
बाद में वादों से मुकर जाते हैं मिशनिरी के लोग
ईसाई धर्म छोड़ कर सनातन धर्म में वापसी करने वाले ग्रामीण महादेव सलामे का कहना है की मिशनरी के लोग आ कर के हमें नौकरी और पैसों का लालच देते हैं. बीमारी का इलाज करने का भी झांसा देकर हमें बातों में ले लेते हैं. इनकी बातें मान लेने और धर्म अपना लेने के बाद ये अपने वादों से मुकर जाते हैं.
दूसरे ग्रामीण छतर कवड़े ने बताया की ईसाई धर्म में जाने के बाद नाते-रिश्तेदार उनसे दूरी बना लेते हैं. गांव के लोग भी उनसे कोई रिश्ता नहीं रखना चाहते. इसलिए वह ईसाई धर्म को छोड़कर फिर से हिंदू धर्म में वापस आ गए हैं.