कांग्रेस संगठन में जान फूंकने के लिए राहुल गांधी 350 दिन बाद फिर से एक पदयात्रा की शुरुआत करने वाले हैं. कांग्रेस ने इस पदयात्रा का नाम भारत न्याय यात्रा दिया है. पूर्वोत्तर के मणिपुर से शुरू होने वाली यह पदयात्रा महाराष्ट्र के मुंबई में खत्म होगी. 67 दिनों की इस पदयात्रा में राहुल 6200 किमी चलेंगे.

कांग्रेस संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल के मुताबिक पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे यात्रा को हरी झंडी दिखाएंगे. यात्रा का मुख्य उद्देश्य आम लोगों को राजनीतिक, आर्थिक और समाजिक न्याय दिलाना है.

14 राज्य और 85 जिलों से गुजरने वाली इस पदयात्रा का आधिकारिक रोडमैप कांग्रेस ने अभी तक जारी नहीं किया है, लेकिन पार्टी सूत्रों का कहना है कि यात्रा का रोडमैप लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बनाया गया है.

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक राहुल गांधी की यात्रा पूरब से पश्चिम भारत के उन 100 सीटों को कवर करेगी, जहां 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस हार गई थी.

भारत जोड़ो यात्रा से कितना अलग है ये न्याय यात्रा?

कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी और कार्यकर्ताओं ने पैदल यात्रा की थी, लेकिन इस यात्रा में पैदल चलने के साथ-साथ हाईटेक बस का भी इस्तेमाल किया जाएगा.

भारत जोड़ो यात्रा का थीम मोहब्बत और सबको एकजुट करना था. न्याय यात्रा का थीम सभी वर्गों को न्याय दिलाना है.
भारत जोड़ो यात्रा 3570 किमी की थी, जबकि भारत न्याय यात्रा 6200 किमी की होगी.
भारत जोड़ो यात्रा की तरह ही न्याय यात्रा में भी 14 राज्यों को ही कवर किया जाएगा.
सीडब्ल्यूसी सदस्य और ओडिशा कांग्रेस के प्रभारी डॉक्टर अजय कुमार एबीपी न्यूज से बात करते हुए कहते हैं, ‘इस बार समय कम है और दूरी ज्यादा. इसलिए यात्रा के स्वरूप में कुछ फेरबदल किया गया है. हमारी कोशिश अधिकांश जिलों को कवर करने की है.’
न्याय यात्रा का राज्यवार रोडमैप

पूर्वोत्तर के 4 राज्यों पर विशेष फोकस, यहां 19 सीटें

कांग्रेस न्याय यात्रा के जरिए पूर्वोत्तर के 4 राज्यों पर मुख्य रूप से फोकस करना चाहती है. इन राज्यों में लोकसभा की कुल 19 सीटें हैं. 2019 में कांग्रेस को 19 में से 4 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि 11 पर पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी.

कांग्रेस को इस बार मणिपुर, मेघालय, नगालैंड और असम में बेहतरीन परफॉर्मेंस की उम्मीद है. असम की 9 सीटों पर कांग्रेस पिछली बार दूसरे नंबर पर थी. इनमें से 3 सीटों पर पार्टी के उम्मीदवार 1 लाख से भी कम वोटों से चुनाव हारे.