काफी समय से ज्ञानवापी मामला चला आ रहा है जिसको लेकर समय-समय पर सुनवाई भी होती रहती है हिन्दू पक्ष और मुस्लिम पक्ष अपनी दलीलें भी रखते हैं जिसके आधार पर कोर्ट फैसला सुनती है, ज्ञानवापी के तहखाने में पूजा को लेकर विवाद भी अभी चल ही रहा है की अब कोर्ट ने एक और बड़ा फैसला सुना कर सभी को चौंका दिया है. दरअसल मध्य प्रदेश के धार स्थित भोजशाला विवाद में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर बेंच ने बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने ज्ञानवापी की तरह ही इसका भी ASI सर्वे कराने का आदेश दिया है. हिंदू पक्ष की ओर से इसका पुरातात्विक सर्वेक्षण कराने की मांग की गई थी, जिस पर इंदौर हाईकोर्ट ने सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था, हिंदू पक्ष ने यहां होने वाली नमाज पर भी रोक लगाने की मांग की थी.

भोजशाला को हिंदू पक्ष वाग्देवी यानी मां सरस्वती का मंदिर मानता है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसे कमाल मौला मस्जिद बताता है. इसे लेकर दोनों पक्षों में लंबे वक्त से विवाद चला आ रहा है. यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण यानी एएसआई द्वारा संरक्षित स्मारक है, जिसका नाम राजा भोज पर रखा गया था.

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क्या है इसका इतिहास?

बता दे की इसका इतिहास काफी पुराना है, एक हजार साल पहले धार में परमार वंश का शासन था. यहां पर 1000 से 1055 ईस्वी तक राजा भोज ने शासन किया. राजा भोज सरस्वती देवी के अनन्य भक्त थे. उन्होंने 1034 ईस्वी में यहां पर एक महाविद्यालय की स्थापना की, जिसे बाद में ‘भोजशाला’ के नाम से जाना जाने लगा. इसीलिए इसे हिंदू पक्ष देवी सरस्वती का मंदिर मानता है.