RSS Latest News: इस समय देश में एक और बवाल उठ चूका है, जिससे सियासी पारा चढ़ चूका है, दरअसल, RSS की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने पर जो बैन लगाया गया था अब उसे हटा दिया गया है, और इसी आदेश को लेकर देशभर में बवाल मचा हुआ है, बता दें की 58 साल पहले 1966 में केंद्र सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ यानी RSS की गतिविधियों में शामिल होने पर प्रतिबंध लगाया था

अब इस आदेश के आने के बाद कांग्रेस भी कौनसा पीछे रहने वाली है, कांग्रेस का आरोप है कि इस आदेश से आरएसएस की गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों की भागीदारी पर लगे बैन को हटा दिया गया है, वहीं बता दें की कथित तौर पर केंद्र सरकार ने ये आदेश जारी किया है।

अब विपक्ष इस फैसले की जमकर आलोचना कर रहा है. कांग्रेस के नेता जयराम रमेश ने अपने X हैंडल पर पोस्ट लिखकर इसका विरोध जताया है. वहीं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने तो इस फैसले को वापस लेने की डिमांड रख दी है. इस आदेश के आने के बाद से ही सियासी पारा हाई हो गया है.

RSS भले ही राजनीतिक संगठन नहीं है पर उसकी विचारधारा और केंद्र में सत्तासीन BJP की विचारधारा में कोई अंतर नहीं है. आम तौर पर यह माना जाता है RSS और BJP चाहे दो अलग-अलग संगठन हैं पर यह आपस में इस तरह गुंथे हुए हैं कि चाहकर भी अलग नहीं हो सकते हैं.

जयराम रमेश ने किया पोस्ट

जयराम रमेश ने अपने पोस्ट में एक ऑफिस मेमोरेंडम का हवाला दिया था, जयराम रमेश ने एक्स पर कहा, ‘फरवरी 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद सरदार पटेल ने RSS पर प्रतिबंध लगा दिया था, इसके बाद अच्छे आचरण के आश्वासन पर प्रतिबंध को हटाया गया, इसके बाद भी RSS ने नागपुर में कभी तिरंगा नहीं फहराया, उन्होंने आगे लिख की 1966 में, RSS की गतिविधियों में भाग लेने वाले सरकारी कर्मचारियों पर प्रतिबंध लगाया गया था – और यह सही निर्णय भी था, वहीं 9 जुलाई 2024 को, 58 साल का प्रतिबंध हटा दिया गया जो अटल बिहारी वाजपेयी के प्रधानमंत्री के कार्यकाल के दौरान भी लागू था।

RSS ने आदेश का किया स्वागत

अब इस इस पूरे मामले में RSS का बयान भी सामने आया है, बता दें की अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा, ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गत 99 वर्षों से सतत राष्ट्र के पुनर्निर्माण एवं समाज की सेवा में संलग्न है, राष्ट्रीय सुरक्षा, एकता-अखंडता एवं प्राकृतिक आपदा के समय में समाज को साथ लेकर संघ के योगदान के चलते समय-समय पर देश के विभिन्न प्रकार के नेतृत्व ने संघ की भूमिका की प्रशंसा भी की है, शासन का वर्तमान निर्णय समुचित है और भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था को पुष्ट करने वाला है।