EPFO Rule Change: देश में ऐसे EPFO ​​यूजर्स की संख्या करोड़ों में है जिनका पैसा PF अकाउंट में जमा होता ही, अब उन सबके लिए एक जरुरी खबर है, कर्मचारी भविष्य निधि संगठन ने कुछ नए नियमों को आज से जारी कर दिया है, देश के सभी PF खाताधारकों के लिए ये नियम जारी किये गए है, बता दें की PF अकाउंट को लेकर नया नियम पेश किया है. यह बदलाव सभी पीएफ खाताधारकों के लिए है. अगर आप भी एक पीएफ अकाउंट होल्‍डर्स हैं तो आपके लिए ये नियम पेश किया गया है.

आपको बता देने हैं की EPFO ने पीएफ अकाउंट्स में उनके विवरण को सही करने, अपडेट करने के लिए कुछ नए नियम पेश किए हैं. तो चलिए जान लेते हैं की नियम क्या हैं?

EPFO की तरफ से अब अपनी पर्सनल जानकारी को अपडेट करने के लिए नई मानक संचालन प्रक्रिया (SOP) गाइडलाइन जारी की है, र्सनल जानकारी जैसे नाम, डेट ऑफ बर्थ आदि. अब इस नए नियम के बाद UAN प्रोफाइल में अपडेट या सुधार के लिए दस्‍तावेज देने होंगे. साथ ही डिक्‍लेयरेशन देकर आवेदन कर सकते हैं.

जारी की नयी गाइडलाइन

EPFO ने नई गाइडलाइन जारी करते हुए कहा है की अक्सर गलतियां हो जाती है और अभी तक लोगों को इन गलतियों को सुधरने में काफी दिक्कत आती थी लेकिन अब ये नहीं होगा। इसी के चलते ये नई गाइडलाइन पेश की गई है।

अब जो नयी कैटेगरी होगी उसमे दो कैटेगरी के तहत ही बदलाव होंगे, नए निर्देश के तहत ईपीएफओ ने प्रोफाइल में होने वाले बदलावों को मेजर और माइनर श्रेणियों में बांटा है. जब भी कोई कर्मचारी अपने EPF खाते में माइनर त्रुटि में बदलाव करवाना चाहेगा तो उसको दो दस्तावेज पेश करने होंगे।

मेजर बदलाव के लिए 3 दस्तावेज

इसके अलावा कर्मचारी के खाते में कोई मेजर समस्या है और वो उसको बदलना चाहता है तो उसको 3 दस्तावेज देने होंगे तभी बदलाव संभव हो पायेगा, गाइडलाइन में ये भी कहा गया है की कर्मचारी अपने आधार से जुड़ा बदलाव अगर पीएफ खाते में करवाना चाहते है तो उनके आधार कार्ड से लिंक मोबाइल नंबर भी चालू होना अनिवार्य है।

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की तरफ से जारी इन नियमों को एसओपी वर्जन 3.0 में जारी किया गया है, विभाग की तरफ से अब जो नियम बनाये गए है उनके अनुसार जब भी आप कुछ चेंज करवाएंगे तो आपको दस्तावेज देने होंगे और साथ में अपना डिक्‍लेयरेशन भी देना होगा।

बता दें की देश में करोड़ों कर्मचारी हैं जिनका EPFO में नाम दर्ज है और उनके पीएफ खाते में हर महीने उनकी सैलरी से पैसा जमा होता है, वहीं जितना पैसा कर्मचारी के वेतन से काटकर जमा किया जाता है उतना ही पैसा नियोक्ता के द्वारा भी जमा किया जाता है.