Violence In Bangladesh: पड़ोसी मुल्क बांग्लादेश में अब हिंसा की आग पूरी तरह से फ़ैल चुकी है, पूरा देश इस आग में जल उठा है, इतना ही नहीं 15 सालों तक बांग्लादेश पर राज करने वाली शेख हसीना को प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी और अपनी जान बचाने के लिए उन्हें देश छोड़कर भागना पड़ा.

पूरी दुनिया की नजरें इस समय बांग्लादेश पर है, वहीं हसीना की तरफ से इस्तीफा दिए जाने के बाद सेना ने मोर्चा संभाला है, बांग्लादेश के आर्मी चीफ वकर-उज-जमान ने ऐलान किया है कि देश में सेना अंतरिम सरकार बनाएगी, सेना प्रमुख ने लोगों से शांति बनाए रखने और प्रदर्शनकारियों की बात पर विचार करने की बात कही है।

हिंसा भड़कने की वजह

बांग्लादेश में स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में दिए गए आरक्षण के विरोध में ही एक जुलाई से प्रदर्शन की शुरुआत हुई थी, यही वो वजह बनी जिसके बाद पूरे बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर विद्रोह शुरू हो गया था, इससे पहले पांच जून को ढाका हाईकोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानियों के परिजनों के लिए आरक्षण की व्यवस्था को फिर से लागू करने का आदेश दिया था।

कट्टर इस्लामियों की साजिश

राजनीतिक हंगामे की आड़ में मौके का फायदा उठाते हुए कट्टर इस्लामिक ताकतों ने अपनी साजिश रचते हुए पूरे बांग्लादेश को एक बार फिर से हिंसा की आग में झोंक दिया. राजधानी ढाका समेत बांग्लादेश के सभी जिले में अल्पसंख्यक हिंदू समाज के घरों, ऑफिस, दुकान, मंदिर और स्कूलों पर लगातार हमला, तोड़फोड़ और महिलाओं से बलात्कार की वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है.

बांग्लादेश में प्रदर्शन की आड़ में विरोध इस कदर बढ़ा कि हालात तख्तापलट तक पहुंच गए, अब बांग्लादेश में भड़की हिंसा को लेकर भारत में भी हलचल शुरू हो गई है. दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक विरासत है, आयात-निर्यात से लेकर लंबा-चौड़ा निवेश है.

भारत पर दिखेगा इसका असर?

बांग्लादेश के बिगड़े हालत को देखते हुए माना जा रहा है की बांग्लादेश और भारत के करोबार में बाधा आ सकती है दरअसल, बांग्लादेश का कारोबार ठप होने से लाखों लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट मंडराने लगा है. रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश से आयात होने वाली चीजों की कीमतों पर असर दिखने लगेगा. वहीं हालात खराब होने पर निर्यात पर असर दिखना तय है.

हिंसा के हर गुजरते दिन के साथ 150 करोड़ रुपये से अधिक का एक्सपोर्ट-इंपोर्ट प्रभावित हो रहा है. अगर लंबे वक्त तक ऐसे ही हालात बने रहे तो स्थिति और बिगड़ सकती है. इतना ही नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था इसका असर दिखना शुरू हो जाएगा.

बांग्लादेश में हालात किस कदर बेकाबू हुए इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच हुई झड़प में 300 से अधिक लोगों की मौत हुई है, प्रदर्शनकारियों का कहना है कि मौजूदा आरक्षण व्यवस्था सरकारी सेवाओं में मेधावी छात्रों के नामांकन को काफी हद तक रोक रही है, वहीं इन सब के बीच छात्रों की मांग है कि मौजूदा आरक्षण प्रणाली में सुधार करते हुए प्रतिभा के आधार पर सीटें भरी जाएं।