PM Srettha Thavisin: थाईलैंड से एक बड़ी खबर आ रही है, बता दें की थाईलैंड के सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त (बुधवार) को प्रधानमंत्री श्रेथा थाविसिन को पद से हटा दिया है, उन पर नैतिक मूल्यों का उल्लंघन करने का आरोप है.
श्रेथा बीते 16 वर्षों में चौथे थाई प्रधानमंत्री हैं, जिनका अदालत के फैसले की वजह से पद गया है, कोर्ट ने कहा है कि श्रेथा ने नैतिक मानकों को पूरा नहीं करने वाले शख्स को मंत्री को नियुक्त करके संविधान का उल्लंघन किया है।
राजनीति में उथल-पुथल
वहीं थाईलैंड की अदालत के इस फैसले के बाद पीएम के हटने से देश में राजनीतिक उथल-पुथल बढ़ने और सत्तारूढ़ गठबंधन में फेरबदल की आशंका बढ़ गई है, थाईलैंड में फिलहाल उपप्रधानमंत्री फुमथम वेचयाचाई के कार्यवाहक पीएम के तौर पर कार्यभार संभालने की उम्मीद है।
कोर्ट ने एक सप्ताह पहले मुख्य विपक्षी दल को भंग करने का आदेश दिया था, इन दोनों घटनाक्रमों के बाद थाई राजनीति में हलचल मच गई है. पीएम श्रीथा के मंत्रिमंडल में एक ऐसे सदस्य को मंत्री बनाया गया, जो कोर्ट के एक अधिकारी को रिश्वत देने के कथित प्रयास के लिए जेल में बंद था, श्रेथा थाविसिन के इस कदम को नैतिकता का उल्लंघन मानते हुए संवैधानिक न्यायालय ने उन्हें दोषी ठहराया और प्रधानमंत्री पद से हटा दिया.
सूत्रों के अनुसार नौ न्यायाधीशों की संवैधानिक पीठ ने 5:4 के विभाजित मत से श्रेथा के खिलाफ फैसला सुनाया, वहीं नए प्रधानमंत्री को पदभार ग्रहण करने की स्वीकृति दिए जाने तक वर्तमान मंत्रिमंडल कार्यवाहक आधार पर जारी रहेगा।
किसके वजह से गया पद?
जिस व्यक्ति के कारण श्रेथा को पद से हटाया है, उसका नाम पिचिट है, पिचिट को 2008 में अदालत की अवमानना के आरोप में 6 महीने की जेल हुई थी, जब उन्होंने कथित तौर पर पूर्व प्रधानमंत्री से जुड़े एक मामले में एक न्यायाधीश को किराने की थैली में रिश्वत देने की कोशिश की थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, श्रीथा ने शिनावात्रा के पूर्व वकील पिचिट चुएनबान की कैबिनेट में नियुक्ति को बरकरार रखा था, जिन्हें रिश्वत देने से जुड़े केस में अदालत की अवमानना के लिए कुछ समय के लिए जेल भेजा गया था, हालांकि उन पर रिश्वतखोरी का आरोप साबित नहीं हुआ था, इस आरोप को संवैधानिक अदालत ने सही माना।