PM Benjamin Netanyahu: इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू (Benjamin Netanyahu) और उनके रक्षा मंत्री योआव गैलेंट के खिलाफ अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया है. ऐसे में अब बेंजामिन नेतन्याहू की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.
बता दें कि इजरायल (Israel) के पूर्व रक्षा प्रमुख योव गैलेंट और हमास नेता इब्राहिम अल-मसरी के खिलाफ भी वारंट जारी किया है, क्यूंकि इन्हें युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों का दोषी पाया गया है.
किस वजह से जारी हुआ अरेस्ट वारंट?
हेग स्थित विश्व न्यायालय ने इजरायल (Israel) के नेताओं के खिलाफ यह वारंट गाजा और लेबनान में संघर्ष के दौरान किए गए युद्ध अपराधों के लिए जारी किया है, जहां वह हमास और हिजबुल्लाह के साथ युद्ध में है.
अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायालय ने हमास के सैन्य प्रमुख मोहम्मद डेफ को भी युद्ध का अपराधी बताते हुए उसकी गिरफ्तारी का आदेश दिया है. एक आधिकारिक बयान में विश्व न्यायालय ने कहा कि चैंबर ने दो व्यक्तियों, बेंजामिन नेतन्याहू और योआव गैलेंट को युद्ध अपराधों के लिए जिम्मेदार मानते हुए यह वारंट जारी किया है.
ICC ने कथित युद्ध अपराधों और मानवता के खिलाफ अपराधों को लेकर गिरफ्तारी वारंट जारी किया, इस पर इजरायल ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है, उसने कहा कि आईसीसी अपनी सभी वैधता को खो चुका है.
पुतिन के खिलाफ भी जारी हुआ था वारंट
बता दें कि ICC ने 17 मार्च, 2023 को युक्रेन युद्ध को लेकर ऐसे ही आरोपों में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था, जानकारी के अनुसार आईसीसी के जजों ने अपने निर्णय में कहा कि यह मानने के लिए ठोस आधार है कि नेतन्याहू और गैलेंट गाजा में भुखमरी और फलस्तीनियों पर अत्याचार के लिए आपराधिक रूप से जिम्मेदार हैं.
जबकि अल-मसरी के लिए वारंट में सात अक्टूबर, 2023 को इजरायल पर हमले के दौरान सामूहिक हत्याओं, दुष्कर्म और लोगों को बंधक बनाने जैसे आरोपों को शामिल किया गया है. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने आईसीसी के फैसले के कुछ घंटे बाद अपनी प्रतिक्रिया दी.
उन्होंने अपने एक्स हैंडल पर एक वीडियो मैसेज में कहा, हेग में अंतरराष्ट्रीय न्यायालय का यहूदी विरोधी फैसला एक आधुनिक ड्रेफस मुकदमा है और इसका अंत भी उसी तरह होगा.
आईसीसी पर नेतन्याहू का हमला
आईसीसी पर हमला करते हुए नेतन्याहू ने अपने वीडियो संदेश में जिस ड्रेफस मुकदमे का जिक्र किया, वह एक राजनीतिक और न्यायिक घोटाला था जो 1894 और 1906 के बीच फ्रांस में हुआ था, जिसमें अल्फ्रेड ड्रेफस नामक एक यहूदी फ्रांसीसी सेना अधिकारी को जर्मनों को सैन्य रहस्य बेचने के कथित राजद्रोह के मामले में गलत तरीके से दोषी ठहराया गया था.
बाद में उन्हें दोषी नहीं पाया गया और उन्हें फ्रांसीसी सेना में बहाल कर दिया गया. अब आपको दें कि ICC का मुख्यालय नीदरलैंड के हेग में है, जिसकी स्थापना 1998 की संधि के तहत की गई थी. इस संधि को “रोम संविधि” के नाम से भी जाना जाता है.
यह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता के सबसे गंभीर अपराधों: नरसंहार, युद्ध अपराध, मानवता के खिलाफ अपराध और आक्रामकता के अपराध के लिए आरोपित व्यक्तियों की जांच करता है और, जहां आवश्यक हो, उन पर मुकदमा चलाता है. वर्तमान में, 124 देश रोम संविधि के पक्षकार हैं, जिनमें ब्रिटेन, जापान, अफ़गानिस्तान और जर्मनी शामिल हैं. भारत चीन और अमेरिका इसके सदस्य नहीं हैं.